जालंधर(मान्यवर):-अस्पतालों में लापरवाही के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। दोआबा अस्पताल में मंगलवार को जन्मी बच्ची को वीरवार को मृत बताकर परिजनों को सौंप दिया गया। परिजन जब संस्कार करने श्मशानघाट पहुंचे तो बच्ची की सांसे चल रही थीं। इसके बाद परिजन बच्ची को तीन अन्य अस्पताल में ले गए, सभी ने बच्ची को जिंदा बताया।
बाद में बच्ची को वापस दोआबा अस्पताल में लाया गया। यहां डाक्टर ने उसे दोबारा वेंटीलेटर पर रख लिया है। लापरवाही को लेकर परिजनों ने अस्पताल के बाहर सड़क जाम कर जमकर हंगामा किया। मौके पर पुलिस और आइएमए डाक्टर भी पहुंचे।
शिवसेना नेता इशांत शर्मा ने बताया कि मखदूम पुरा निवासी अमनदीप की पत्नी ने मंगलवार को दोआबा अस्पताल में आपरेशन से एक बच्ची को जन्म दिया। नवजात बच्ची का भार एक किलो तीन सौ ग्राम होने की वजह से उसे मशीन में रखा गया। बच्ची की मां को अस्पताल से छुट्टी कर दी गई थी। वीरवार को बाद दोपहर करीब चार बजे अस्पताल की ओर से परिजनों को नवजात बच्ची की मौत की फोन पर सूचना दी गई।
उसके बाद परिजन अस्पताल में पहुंचे और बच्ची को दफन करने के लिए शमशानघाट पहुंचे। वहां परिजन बच्ची की सांस चलते देख तीन अन्य अस्पताल में ले गए। सभी अस्पतालों में डाक्टरों ने बच्ची के जिदा होने की बात कही। इसके बाद बच्ची को दोबारा लाकर दोआबा अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां डाक्टर ने इलाज शुरू कर दिया। वहीं परिजनों ने ऐसी लापरवाही पर डाक्टर व स्टाफ नर्स के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई करने की बात कही है। देर रात तक परिजन अस्पताल के बाहर रोष प्रदर्शन करते रहे।
अस्पताल के एमडी डा. आशुतोष गुप्ता ने कहा कि लड़की का जन्म समय से पहले हुआ था। उसका भार भी 1.300 किलोग्राम के करीब था। मौके पर तैनात स्टाफ ने गहन जांच के बाद मृत घोषित किया था। नवजात बच्चों में कई बार मरने के बाद भी शरीर के अंदर हवा के कारण सांस लेने जैसा महसूस होता है। परिजन बच्ची को दोबारा लेकर आए थे और उसे वेंटीलेटर में रखा गया है।