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पंजाब में राम रहीम के सत्संग पर घमासान SAD नेता चीमा बोले- माहौल खराब करने की कोशिश, 3 सरकारें इसके लिए जिम्मेदार

जालंधर (ब्यूरो):- पंजाब के बठिंडा में 29 जनवरी को होने वाले राम रहीम के सत्संग पर सियासी घमासान मच गया है। राम रहीम के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने मोर्चा खोला दिया। कमेटी ने हस्ताक्षर मुहिम शुरू की है। वहीं इस बीच पूर्व शिक्षा मंत्री और शिअद के सीनियर नेता डॉ दलजीत चीमा ने सरकारों पर निशाना साधा।

डॉ दलजीत चीमा ने कहा कि पंजाब में अमन शांति का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए केन्द्र, हरियाणा और पंजाब सरकार सीधे तौर पर जिम्मेदार है। जिस तरह से राम रहीम पर सरकारें नरमी दिखा रही हैं, कही न कही कोर्ट के सुनाए गए फैसले को चुनौती है। जो व्यक्ति दुष्कर्म और कत्ल जैसे मामलों में सजा भुगत रहा हो, उसे इतने जल्दी पैरोल देना गलत है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री का OSD और पार्लियामेंट का सदस्य राज्य स्तर समारोह संबंधी निमंत्रण पत्र देने राम रहीम को गया। सरकारें राम रहीम को जेल से हीरो बनाने में लगी हैं। चीमा ने कहा कि जिस व्यक्ति पर कत्ल और दुष्कर्म जैसे दो मामले गंभीर हों और उसमें सजा काट रहा हो, उसे 5 साल तो पैरोल मिलती ही नहीं। चार से अधिक केस अभी और आरोपी पर पेंडिंग है। मौजूदा सरकारें कानून का अपमान कर रही हैं।

वहीं पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि आसाराम जैसे ही राम रहीम का केस है, लेकिन सरकार राम रहीम पर अधिक मेहरबान है। पंजाब का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। आप और केन्द्र सरकार दोनों मिल कर राम रहीम को छुट दे रही हैं।

पंजाब को सख्त फैसला लेने की जरूरत है। सिक्ख जत्थेबंदियों को कानूनी लड़ाई राम रहीम के खिलाफ लड़नी चाहिए। रंधावा ने कहा कि डेरावाद की देन शिरोमणि कमेटी की ही है, यदि समय रहते डेरों पर रोक लगाई होती तो आज ये हालात न बनते।

सिरसा में 25 जनवरी को शाह सतनाम के जन्मदिवस पर दूसरे राज्यों के सदस्यों ने कहा कि उन्हें प्रबंधन ने आने से रोका था। ताकि भीड़ न हो जाए। इसलिए उनके राज्य की साध संगत नहीं आ सकी। इस पर राम रहीम ने प्रबंधन से जवाब मांगा तो उन्होंने कहा कि जगह के अभाव में रोका गया था। तब राम रहीम ने पंजाब, राजस्थान वालों को कहा कि इस अवतार माह की खुशी में उन्हें सत्संग करने की नई तिथि दी जाएगी। ये सत्संग केवल उनके राज्य की संगत के लिए होगा। किसी ओर के लिए नहीं